भरी दोपहर में मेरा साथ छोड़ा , ज़रा सोचते साँझ आने तो देते - - - * * * बड़े भोर से जो लगाई थी बगिया , अभी उनमें कलियाँ और पत्ते नए थे . . औ' फूलों का बगिया में खिलना बचा था , कि भँवरों आ गुनगुनाने तो देते - - - | * * * नई डाल पर नीड़ एक जो बना था , अभी उसको पँछी बसाने गए थे . .
जो थोड़ा ठाहर कर सजा लेते सपने , कि नन्हों को कलरव मचाने तो देते - - - | * * * झड़े फूल-पत्ते , बचे सिर्फ काँटे , ये पतझड़ में बदला बहारों का मौसम . . हैं तीखी हवाएँ और लुटती सी बगिया , कहीं कोई बागड़ लगाने तो देते - - - | * * * न सूरज न चंदा कहीं आके चमके , हैं रातें अँधेरी , ना बिजली ही दमके . . यहाँ हो गईं नित अमावस की रातें , कहीं कोई दीपक जलाने तो देते - - - | * * * हैं टूटे से छज्जे , पुरानी दीवारें , झरोखों में शीशे , औ' जर्जर हैं द्वारे . . बिना चौकसी का महल तुमने छोड़ा , कहीं कोई प्रहरी बिठाने तो देते - - - | * * * ये उजड़े से मंज़र और सुनसान राहें , ये सूनी सी आँखें और ख़ाली सी बाहें . . नहीं कोई इनकी तलाशों की सीमा , ज़रा भटकनों को थमाने तो देते - - - | ज़रा सोचते साँझ आने तो देते . . . . ज़रा सोचते साँझ आने तो देते - - - - - || ======================================================================== सर्वाधिकार सहित , स्व-रचित रचना ========================================================================
आओ मन हम-तुम बात करें , बीती घड़ियाँ कुछ याद करें - - - - - जब बीती घड़ियों में जाती , अंतहीन सा चक्कर पाती - यादें मेरी - भूल-भुलैया , उनमें ही बस खोती जाती . . यादों का है मेरा खजाना , अब कुछ और नहीं है पाना चाहे मन में रखूँ - छुपाऊँ , चाहे बाँटूं और लुटाऊँ . . उनमें से मोती चुन-चुन कर , खुद पर हम बरसात करें - आओ मन हम-तुम बात करें - - - - - - - - | जाने कितनी ऐसी बातें , बातों के भीतर की घातें . . आँखों में आँसू लाती हैं , आँसू में खुद को पाती हैं ; पर आँखे सहेज ना पातीं , इन मोती की लड़ियों को - गिर कर साथ छोड़ देती हैं , बाँध न पातीं कड़ियों को ; काल-चक्र से जीत न पाएँ , कितनी ही शह-मात करें - आओ मन हम-तुम बात करें - - - - - - - - | याद करूँ जब सारा जीवन , अंदर से कुछ-कुछ रिसता है , भीगी लकड़ी सा मन जलता , बे-आवाज़ दर्द पिसता है . . छूट गए पीछे सब साए , हम हाथों से पकड़ न पाए , टीस बड़ी उठती है मन में , बीता वक़्त हाथ आ जाए . . कैसे मिले , कहाँ से पाएँ , किससे अब फ़रियाद करें - आओ मन हम-तुम बात करें - - - - - - - - || आओ मन हम-तुम बात करें , बीती घड़ियाँ कुछ याद करें . . . . . आओ मन . . . . . . आओ मन . . . . . . आओ मन . . . . . . . .!! ******************************************************************************* सर्वाधिकार सहित , स्व-रचित रचना ********************************************************************************