ज़रा सोचते. . . . . . . .
भरी दोपहर में मेरा साथ छोड़ा , ज़रा सोचते साँझ आने तो देते - - -
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बड़े भोर से जो लगाई थी बगिया , अभी उनमें कलियाँ और पत्ते नए थे . .
औ' फूलों का बगिया में खिलना बचा था , कि भँवरों आ गुनगुनाने तो देते - - - |
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नई डाल पर नीड़ एक जो बना था , अभी उसको पँछी बसाने गए थे . .
जो थोड़ा ठाहर कर सजा लेते सपने , कि नन्हों को कलरव मचाने तो देते - - - |
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झड़े फूल-पत्ते , बचे सिर्फ काँटे , ये पतझड़ में बदला बहारों का मौसम . .
हैं तीखी हवाएँ और लुटती सी बगिया , कहीं कोई बागड़ लगाने तो देते - - - |
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न सूरज न चंदा कहीं आके चमके , हैं रातें अँधेरी , ना बिजली ही दमके . .
यहाँ हो गईं नित अमावस की रातें , कहीं कोई दीपक जलाने तो देते - - - |
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हैं टूटे से छज्जे , पुरानी दीवारें , झरोखों में शीशे , औ' जर्जर हैं द्वारे . .
बिना चौकसी का महल तुमने छोड़ा , कहीं कोई प्रहरी बिठाने तो देते - - - |
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ये उजड़े से मंज़र और सुनसान राहें , ये सूनी सी आँखें और ख़ाली सी बाहें . .
नहीं कोई इनकी तलाशों की सीमा , ज़रा भटकनों को थमाने तो देते - - - |
ज़रा सोचते साँझ आने तो देते . . . . ज़रा सोचते साँझ आने तो देते - - - - - ||
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सर्वाधिकार सहित , स्व-रचित रचना
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आओ मन , हम-तुम बात करें .........
आओ मन हम-तुम बात करें , बीती घड़ियाँ कुछ याद करें - - - - -
जब बीती घड़ियों में जाती , अंतहीन सा चक्कर पाती -
यादें मेरी - भूल-भुलैया , उनमें ही बस खोती जाती . .
यादों का है मेरा खजाना , अब कुछ और नहीं है पाना
चाहे मन में रखूँ - छुपाऊँ , चाहे बाँटूं और लुटाऊँ . .
उनमें से मोती चुन-चुन कर , खुद पर हम बरसात करें -
आओ मन हम-तुम बात करें - - - - - - - - |
जाने कितनी ऐसी बातें , बातों के भीतर की घातें . .
आँखों में आँसू लाती हैं , आँसू में खुद को पाती हैं ;
पर आँखे सहेज ना पातीं , इन मोती की लड़ियों को -
गिर कर साथ छोड़ देती हैं , बाँध न पातीं कड़ियों को ;
काल-चक्र से जीत न पाएँ , कितनी ही शह-मात करें -
आओ मन हम-तुम बात करें - - - - - - - - |
याद करूँ जब सारा जीवन , अंदर से कुछ-कुछ रिसता है ,
भीगी लकड़ी सा मन जलता , बे-आवाज़ दर्द पिसता है . .
छूट गए पीछे सब साए , हम हाथों से पकड़ न पाए ,
टीस बड़ी उठती है मन में , बीता वक़्त हाथ आ जाए . .
कैसे मिले , कहाँ से पाएँ , किससे अब फ़रियाद करें -
आओ मन हम-तुम बात करें - - - - - - - - ||
आओ मन हम-तुम बात करें , बीती घड़ियाँ कुछ याद करें . . . . .
आओ मन . . . . . . आओ मन . . . . . . आओ मन . . . . . . . .!!
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सर्वाधिकार सहित , स्व-रचित रचना
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