दिन हँसते मुस्काते होंगे ......
सुबह चहकती आती होगी , धूप हंसी बन छाती होगी -
खिली उषा सी कुछ मुस्काती , तुम मन ही मन गाती होगी ;
तुम्हें देख अनुराग सहित ''अनुराग'' व्यस्त हो जाते होंगे -
आस साँझ की दे कर जाने वाले पल , फिर आते होंगे - -
दिन हँसते मुस्काते होंगे . . . . . . . . |
होगा नया-नया हर कोना , रुचता होगा तुम्हें सँजोना -
कुछ संवार कर , कुछ निखार कर , लगता होगा सुगढ़-सलोना ;
हाथ तुम्हारे - मन से मिल कर , नई कल्पनाएँ कुछ गढ़ कर -
संध्या के स्वागत को आतुर , बंदनवार सजाते होंगे - -
दिन हँसते मुस्काते होंगे . . . . . . . . |
शाम महकती आती होगी , तुमको व्याकुल पाती होगी -
भीनी सी सुगन्ध अपने संग - मुस्का कर ही लाती होगी ;
पूरा दिन यूँ ढल जाने पर , संध्या की बेला आने पर -
हर आहट पर थके , तुम्हारे नैन - द्वार बिछ जाते होंगे - -
दिन हँसते मुस्काते होंगे . . . . . . . |
वहीं कहीँ अमराई होगी , एक डाल गदराई होगी -
उस पर एक पँछी की जोड़ी - दूर कहीं से आई होगी ;
तुम दौनों को देख-देख कर , अपना उड़ना भूल-भाल कर -
कोमल-कोमल तिनके ला-कर , अपना नीड़ बनाते होंगे -
दिन हँसते मुस्काते होंगे . . . . . . . |
दिन हँसते मुस्काते होंगे . . . . . दिन हँसते मुस्काते होंगे . . . . . दिन हँसते मुस्काते होंगे . . . . .||
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बहुत ही सुन्दर भाव
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
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