भाव की अभिव्यक्ति हो - तो बात ही कुछ और है !
* लक्ष्य में एकात्मता , चित्त में एकाग्रता ,
कथन में हो सत्यता - तो बात ही कुछ और है !
* निज-कर्म पर नित गर्व हो , हर दिन मनाते पर्व हो ,
हो मनुज ज्यों गन्धर्व हो - तो बात ही कुछ और है !
* सब सकारात्मक सोच हो , मन में न कुछ उत्कोच हो ,
हितकर दयामय लोच हो - तो बात ही कुछ और है !
* मन में भरा विश्वास हो , मन-मुदित कल की आस हो ,
सर्वांगीण विकास हो - तो बात ही कुछ और है !
* तन में कभी न श्रांति हो , मन में कभी न क्लांति हो ,
निर्णय सदा बिन-भ्रान्ति हो - तो बात ही कुछ और है !
* निज देश पर अभिमान हो , सत और असत का भान हो ,
जीवन सुपथ-गतिमान हो - तो बात ही कुछ और है !
* राष्ट्रीयता ही धर्म हो , उपकारिता ही कर्म हो ,
संवेदना-मय मर्म हो - तो बात ही कुछ और है !
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( सर्वाधिकार सहित , स्व-रचित रचना )
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( सर्वाधिकार सहित , स्व-रचित रचना )
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बहुत सुन्दर भावपूर्ण और प्रेरक प्रस्तुति...
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