तुम कहाँ - कहाँ........!!
* मुझे दृष्टि में न बाँधना कि मैं नीलांबर हूँ जो -
क्षितिज से क्षितिज तक जो धरती पर छाया |
* मुझे वृष्टि में न नापना , कि मैं वह जल-प्लावन हूँ -
जिसने यमुना की लहरों को बढ़ाया |
* मुझे बन्ध में न बाँधना , कि मैं वह निर्बन्ध हूँ -
जिसने कारागृह के बंध को खुलाया |
* मुझे शक्ति में न आँकना , कि मैं तो वह बल हूँ -
जिसने उँगली पर गोवर्धन उठाया |
* मुझे ताल में न तौलना , कि मैं वह पद-चाप हूँ -
जिस पर नट-नागर ने नाग को नथाया |
* मुझे रौद्र में न रोकना , कि मैं तो वह क्रोध हूँ -
जिसने कंस-मर्दन कर भूमि पर लिटाया |
* मुझे सीमा में न रखना , कि मैं वह असीम हूँ -
जो हर गोपी संग कृष्ण बनकर भरमाया |
* मुझे मूर्ति में न गढ़ना , कि मैं वह विराट हूँ -
जिसके आकार में ब्रम्हाण्ड भी समाया |
* मुझे माला में न गूँथना , कि मैं तो वह पुष्प हूँ -
जिसको वृन्दावन की गलियों में बिछाया |
* मुझे नाद में न ढूँढना , कि मैं तो वह गूँज हूँ -
जिसको भँवरे ने मधुबन में गुंजाया |
* मुझे शब्द में न लिखना , कि मैं तो वह बोल हूँ -
जिसको सखि राधा ने श्याम को सुनाया |
* मुझे छन्द में न रचना , कि मैं तो वह गीत हूँ -
जिसे ग्वाल-बालों ने जंगल में गाया |
* मुझे राग में न बाँधना , कि मैं तो वह तान हूँ -
जिसे किसी गोपी ने धुन में गुनगुनाया |
* मुझे वाद्य में न कसना , कि मैं तो वह ध्वनि हूँ -
जिसने कान्हा की मुरली में स्वर पाया |
* मुझे नृत्य में न देखना , कि मैं तो वह लास्य हूँ -
जिसने कान्हा को महा-रास में रमाया |
* मुझे हास्य में न लखना , कि मैं वह स्मित हूँ -
जिसने यशोदा को क्षणांश में लुभाया |
* मुझे प्रेम में न पागना , कि मैं तो वह भाव हूँ -
जिसमें राधा ने सुध-बुध को गँवाया |
* मुझे भक्ति में न आँकना , कि मैं तो वह लगन हूँ -
जिसको मीरा ने रच-रच कर सुनाया |
* मुझे करुणा में न सोचना , कि मैं तो वह अश्रु हूँ -
जिसने विव्हल हो सुदामा-पग धुलाया |
* मुझे पीड़ा में न झाँकना , कि मैं तो वह विरह हूँ -
जिसको राधा ने स्मृतियों में पाया |
* मुझे वचन में न हारना , कि मैं वह विश्वास हूँ -
जिसने सभा में द्रौपति को बचाया |
* मुझे ज्ञान में न जीतना , कि मैं वह उपदेश हूँ -
जिसने रण-भूमि में अर्जुन को जगाया |
* मुझे कर्म से न त्यागना , कि मैं हूँ ''कर्म-योगी'' -
जिसने कर्म के अनुसार सभी को फल दिलाया |
* मुझे धर्म से न ढांकना , कि मैं हूँ वह योगी -
जो जगत में महान् ''योगेश्वर'' कहलाया ||
******************************************************* सर्वाधिकार सहित , स्व-रचित रचना
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