ईर्ष्या-द्वेष निलज्ज कुटिलता जहाँ निडर पल सकती हो ;
कण-कण में हो स्वार्थ जहाँ , कोई न जगह भावुकता की ,
मन-क्रम-वचन समेत सत्य को , जो असत्य कर सकती हो ;
इन पाखण्डों से हटकर तो , राज-नीति का जोड़ नहीं ,
राज-नीति की यह परिभाषा - जिसका कोई तोड़ नहीं ;
राज-नीति और धर्म - कभी पर्याय रूप ना हो सकते ,
आसमान से तारे लाकर धरती पर ना बो सकते ;
इसको कोई धर्म कहे तो छुपी हुई कुछ नीति कहीं ,
स्वयं-सिद्ध यह बात - ''धर्म और राज-नीति का मेल नहीं ||''
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सर्वाधिकार सहित , स्व-रचित रचना
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स्वयं-सिद्ध यह बात - ''धर्म और राज-नीति का मेल नहीं ||''
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सर्वाधिकार सहित , स्व-रचित रचना
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राज-नीति और धर्म - कभी पर्याय रूप ना हो सकते ,
ReplyDeleteआसमान से तारे लाकर धरती पर ना बो सकते ;.......... sahi kaha aapne