नीर के दो रूप - - -
नीर ने दो रूप पाए ....
एक निर्मल सरल निष्छल , तरल गहराई लपेटे ,
मन बने उस नीर जैसा - थाह में मोती समेटे ;
और दूजा रूप हिम का - दृढ़ विचारों सा जमे -
पार-दर्शी मन बने , तब दोष कुछ रहने न पाए...
नीर ने दो रूप पाए !!
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( * सर्वाधिकार सहित , स्व-रचित रचना * )
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