Wednesday, 3 August 2011

महिमा एक की . . .




महिमा 'एक' की .......



*  एक है ''ओम्-कार'' जिसमें समाया ब्रम्हाण्ड सारा ;
        एक उसकी शक्ति पाएँ - सकल जिससे विश्व हरा !

*  एक महिमा, राम के ही नाम की जपते रहें ; 

        पथ न छोड़ें सत्य का - यह अंत तक रटते रहें !

*  एक हो विश्वास मन में प्राप्त, सच्चे स्नेह का ;
          वर्तिका जल ज्योति बनती, साथ हो यदि नेह का !

*  एक बिंदी भाल की, तन को बना देती सुहागन ;
           एक बिंदी भाल की मिट, नाम दे देती अभागन !

*  एक होता मिलन-दिन, श्रृंगार को दूना करे ;
            चिर-वियोगी दिवस होता एक,  सब सूना करे !  

*  एक जीवन मिला ,कुछ सत्कर्म इसमें भर चलें ;
            एक दिन जाना सभी को , सफल जीवन कर चलें !
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                सर्वाधिकार सहित , स्व-रचित रचना 
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1 comment:

  1. bhavon aur shabdon ka sundar sanyojan...sundar bhavpoorn prastuti..

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