महिमा 'एक' की .......
* एक है ''ओम्-कार'' जिसमें समाया ब्रम्हाण्ड सारा ;
एक उसकी शक्ति पाएँ - सकल जिससे विश्व हरा !
* एक महिमा, राम के ही नाम की जपते रहें ;
पथ न छोड़ें सत्य का - यह अंत तक रटते रहें !
* एक हो विश्वास मन में प्राप्त, सच्चे स्नेह का ;
वर्तिका जल ज्योति बनती, साथ हो यदि नेह का !
* एक बिंदी भाल की, तन को बना देती सुहागन ;
एक बिंदी भाल की मिट, नाम दे देती अभागन !
* एक होता मिलन-दिन, श्रृंगार को दूना करे ;
चिर-वियोगी दिवस होता एक, सब सूना करे !
* एक जीवन मिला ,कुछ सत्कर्म इसमें भर चलें ;
एक दिन जाना सभी को , सफल जीवन कर चलें !
* * *
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सर्वाधिकार सहित , स्व-रचित रचना
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* एक जीवन मिला ,कुछ सत्कर्म इसमें भर चलें ;
एक दिन जाना सभी को , सफल जीवन कर चलें !
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सर्वाधिकार सहित , स्व-रचित रचना
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bhavon aur shabdon ka sundar sanyojan...sundar bhavpoorn prastuti..
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