घिर आए........
बादल आज बहुत घिर आए ......
उमड़-घुमड़ अँधियारा ले कर, गरज-तरज बिजली कौंधा कर ,
दानव जैसा रूप बना कर , वेग-प्रवाह भयानक भर कर ,
मुझे सताने ,मुझे रुलाने ,खूब डराने फिर-फिर आए ...
बादल आज बहुत घिर आए .........
उन्हें पता है - मैं अबला हूँ ,उनमें अतुल प्रलय की हिम्मत ,
मैं झोंकों से गिरने वाली , उनमें झंझावाती ताकत ,
मुझे गिराने ,धूल चटाने ,अट्टहास करने फिर आए ...
बादल आज बहुत घिर आए.......
बादल आज बहुत घिर आए........बादल आज बहुत घिर आए.........!!
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( सर्वाधिकार सहित , स्व-रचित रचना )
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